Best ancient History of acupressure therapy | एक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्धति का इतिहास

विवरण Acupressure Therapy

Acupressure Therepy का उद्भव या प्रथम आविष्कार भारत ही है। पुराने समय से ऋषिमुनि इस चिकित्सा पद्धति का प्रयोग करते आए है। ये पुरानी चिकित्सा हमारी संस्कृति की  अतुलनीय देंन है। जिसमे नाड़ियों या एक्यूप्रेशर पॉइंट पर दबाव डाल कर नाड़ी तंत्र को को उतेजित व अनुतेजित कर के सभी प्रकार के रोगों का इलाज किया जाता रहा है। मालिश या बॉयो ऊर्जा पॉइंट का दबाव देना ये सब एक्यूप्रेशर चिकित्सा ही है।

Acupressure Therapy
Therapy

इतिहासकारो का मानना है कि भगवान बुद्ध के समय से यह चिकित्सा अपनी उन्नति पर थी। बौद्ध धर्म के प्रचार के समय इस चिकित्सा का विस्तार चीन, जापान, कोरिया आदि पूर्वी देशों में हुआ और ये चिकित्सा वहां के लोगों में रच बस गई जो कि एक्यूपंचर के नाम से पहचान हुई।जो एक्यूप्रेशर के मूल में विधमान है।

विद्वानों के अनुसार एक्यूप्रेशर चिकित्सा लगभग 4000 वर्ष पूर्व भारत मे अपने सर्वाधिक विकास पर थी तथा यहां से इस चिकित्सा का विकास पूर्वी देशों में हुआ वहाँ इसे आधुनिक विकास के साथ जोड़कर एक्यूपंचर का नाम दिया गया।

Acupressure Therapy का भारत से लुप्त होने के कारण

समय के साथ इस पद्धति का चीन में काफी प्रचार बढ़ा, भारतवर्ष में यह पद्धति लगभग लुप्तप्राय सी होगयी। विदेशी शासन के कारण भारतवासियों के सामाजिक, धार्मिक व राजनीतिक जीवन मे काफ़ी परिवर्तन आया। कुछ सरकारी मान्यता के अभाव के कारण एक्यूप्रेशर और पुरानी चिकित्सा पद्धति विकसित नही हो सकी।

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प्रमाण भारतीय संस्कृति की दृष्टि से

भारतीय संस्कृति में बाजुओं तथा पैरों में निश्चित केंद्रों को दबा कर पेट की अग्नि को ठीक करना व हाथ व पावँ की मालिस से शरीर के कई अन्य रोगों जैसे बेहोशी, बुखार, चक्कर, आना आदि ठीक करना इस चिकित्सा के भारतीय होने के प्रमाण है।

रात के समय तथा सोने से पहले बुजुर्गों द्वारा पैर व पीठ को दबवाना इसका एक बड़ा उदाहरण है जो हमारे समाज मे रामायण महाभारत काल से पूर्व आर्य सभ्यता में भी मिलते हैएक्यूप्रेशर कैसे होता है।

Acupressure Therapy कैसे होता है?

  • कर्ण छेदन की परंपरा- कानों के छेदन से बुद्धि का प्रखर विकास व सोचने की शक्ति का विकास होता है।
  • शरीर के आभूषण की दृष्टि से- हाथ पांव में आभूषण डालने से जननेंद्रिया नियंत्रित रहती है।
  • बाएं हाथ का कंगन ह्रदय का पोषण करता है व रक्तचाप को नियंत्रित करता है।

योतिष शास्त्र के अनुसार- आधुनिक युग में विभिन्न हीरों,पत्थरों, जेम नगीना तथा आभूषणों का प्रयोग मात्र फैशन ही नही है परन्तु इन सभी के मूल में एक्यूप्रेशर चिकित्सा समाई हुई है।

यौगिक दृष्टि से -योग शास्त्र में जिन मुद्राओं का प्रयोग किया जाता है उन सभी के मूल में भी दाब बिंन्दू है जिसे शरीर मे ऊर्जा को नियंत्रित किया जाता है। जैसे योग मुद्रा में प्रथम ऊगली का जो बिंन्दू अंगूठे को छूता है वह शरीर मे ऑक्सीजन को नियंत्रित करने का काम करता है

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एक्यूप्रेशर पॉइंट चार्ट (एक्यूप्रेशर पॉइंट्स चार्ट इन हिंदी pdf)

एक्यूप्रेशर पॉइंट चार्ट

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